अपना स्वाभिमान
अपना स्वाभिमान
अपना स्वाभिमान टूटने दूंगा
चाहे अपनी जान ही दे दूंगा
रश्मि हूँ सूर्य की,तम चीर दूंगा
तम को एकपल जीने न दूंगा
आंखों में छाये मेरे ढेरों सपने,
कह रहे सब अपने फूले-फले
पर अभिमान झुकने न दूंगा
चाहे अपने ख़्वाब टूटने दूंगा
जिंदगी में सब सुख छोडूंगा,
पर स्वाभिमान छूटने न दूंगा
आरजुएं अधूरी है,अधूरी रहे,
पर शीशे को पूरा अक्स दूंगा
कोई मुझसे खुश रहे या न रहे,
खुद को हंसाने का मौका दूंगा
में जग में अकेला ही आया हूं,
और अकेला ही चला जाऊंगा,
पर मरकर मौत को मौत दूंगा
अपना स्वाभिमान टूटने न दूंगा।