अपना इश्क़
अपना इश्क़
में भी एक किस्सा लिखूंगा,
तुम्हारे बिना बदनाम किसे दिखूंगा।
अरसो तक सजाते रहा था,
वो ख़्वाब की कहानी हर बार लिखूंगा।
हासिल मुझे आप हो या न हो,
फिर हर लम्हे तुम्हारे याद रखूंगा।
नहीं सजेगी महफ़िल न इकरार होगा,
फिर भी तुम्हे उम्र भर चाहूंगा।
ये हंसना यूं मुस्कुराना फिर उलझना,
फिर भी में हाथों में हाथ थाम के रखूंगा।
हमें हर शाम से फरियाद ये ही रहेगी,
मेरा ये इश्क़ और कहानी अमर रखूंगा (रहेगी)
मिले थे बाज़ार ए वतन में,
उस जगह की मिट्टी को आभार कहूंगा।
सामने तुम हो या तस्वीरों में,
मन भर के हर वक्त देखता रहूंगा।
संसार के सागर में तब सूझ पाऊंगा,
जब में तुम्हारा हो जाऊंगा
तुम सज_संवर के रहना प्रिये...
अब में तुम्हारा हाथ मांगने आऊंगा।
आखिर में चांद की हिफ़ाज़त,
आसमान के सितारों से सुनाऊंगा
मुंह से तो कुछ भी न कहूंगा, फिर भी
हर दिलों में अपना प्यार लिख जाऊंगा
✍️ कमलेश रबारी घाना (KdsirGhana)

