अपना अंदाज
अपना अंदाज
अपनी औकात के जानिब जिंदगी गुजारते हैं
किसी और के उजाले पे आँख नही रखते।
अपने हक़ से ज्यादा नहीं रखते हैं
चांद-सूरज नही बस एक लौ रखते हैं
हम कसौटी पे इंसान को परखते हैं
अमीरी गरीबी का फ़र्क नहीं रखते।
जो जबान पे आता बोल देते है सब
मन के भीतर बाहर एक सा रखते।
बस आज में काटते हैं ज़िन्दगी अपनी
आने वाले कल की चिंता नहीं रखते।