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Goldi Mishra

Abstract

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Goldi Mishra

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अफसाना

अफसाना

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340


हम किस्मत के फैसलों से अनजान थे,

थोड़ा सा उस खुदा से भी नाराज़ थे,

दो पल की खुशी की खातिर हम दिन रात तरसे थे,

किसी से मिलने की खातिर हम नंगे पाव भागे थे,


उनके लिए खुशी के पल हमने सुबह की दुआ में मांगे थे,

चांदनी जो बरसी उस रात एक हमारे ही हाथ अंधेरे थे,

जो आई बरसात एक हम ही सूखे थे,

ज़िन्दगी के सारे फैसले हमने वक़्त पर छोड़े थे,


उनको कभी हासिल करने की ज़िद्द हम दिल में नहीं रखते थे,

हम उनकी रूह से मोहब्बत करते थे,

वो अनजान हो कर भी काफी अपने लगते थे,

आज माना वो हमारे करीब ना थे,


इस ज़िन्दगी के सफ़र के वो एक खूबसूरत मोड़ थे,

शायद कुछ रिश्ते चंद पलों के लिए ही थे,

वो भी अपनी ज़िन्दगी में आगे बड़ गए थे,

हम भी एक ज़िन्दगी तलाशने निकले थे,


ना जाने वो अब कहा थे,

हमसे दूर कहीं सुकून से थे,

जाते जाते वो सिर्फ लम्हे दे गए थे।


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