अनुराधा कुमारी
अनुराधा कुमारी
एक अनदेखा चेहरा मेरे सपनो में आती है
कभी प्रेम की बाते करती तो कभी डराती है।
हर रोज की भांति आज फिर से वह चीख सुनाई दी।
लेकिन हमें कुछ समझ नहीं आया,
ये कोई चीख थी या बादल की गरगराहट।
कुछ अनदेखी कुछ अनसुनी बातें कह देती है
इस नादान से दिल में अजीब सी डर भर देती है।
साँसें मेरी सिहर सा गया है,
ये दिल अब डर सा गया है।
यूँ तो दिखता सही सलामत हूँ
पर ओ डरावनी बातें दिल को दहला गयी ।
अनसुनी आहटें दबी हुई, बेरंग तस्वीरें छुपी हुई।
ये थमे हुए तूफाँ, ये फिक्रो की बंदिश
मेरे पास छोर गई हैं।