STORYMIRROR

Dinesh Dubey

Abstract

3  

Dinesh Dubey

Abstract

अंतर्मन की आवाज़

अंतर्मन की आवाज़

1 min
216


जो सुने अंतर्मन की आवाज़

वह फंसे न किसी अपवाद

हर कार्य से पहले आ जाती है

अंतर्मन की आवाज़ ,

वह बतलाती है ,

क्या कर रहे हो

तुम ये गलत कर रहे हो,

पर सुन कर भी हम

अनसुना कर देते हैं,

और फिर कई बार,

फंस जाते है नई समस्याओं में

उसके बात याद आता है,

की काश मान ली होती

अंतर्मन की आवाज़।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract