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दयाल शरण

Inspirational

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दयाल शरण

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अंतर्मन के संवाद

अंतर्मन के संवाद

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कांधे पे सर रख बस दिल की कहना

रात ढलेगी और सुबह हो जाएगी

तुम कुछ कहना, मेरी कुछ सुनना

चांद सुनेगा नींद उसे आ जाएगी

सरस सा जीवन जग साझा होगा

नीरस कथा व्यर्थ कहीं बह जाएगी

बिखरे थे जो शब्द बंधेंगे उपसर्गों से

अवयव अंत का प्रत्यय रह जाएगा

संसर्गों की खुशबू ऐसी फैलेगी

खुशबू का इतिहास बदल सा जाएगा

ग़ज़ल, गीत, कविता की रचना

संवादों से पुल साझा हो जाएगा

सौ कदमों की जो दिखती थी दूरी

कट जाएगी पता नहीं चल पाएगा

कठिन लगेंगे प्रथम दो चार कदम

शेष सहज यह जीवन कट जाएगा

तुम कुछ कहना, मेरी कुछ सुनना

चांद सुनेगा नींद उसे आ जाएगी

कांधे पे सर रख बस दिल की कहना

रात ढलेगी और सुबह हो जाएगी



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