अनकही
अनकही
शब्दों से बहका मैं,
अनकहा ही रह गया,
अभिव्यक्ति जाती रही,
मन ढँका ही रह गया,
कश्ती तूफां में कुछ यूँ फँसी,
साहिल ओझल हो गया,
ढूँढता फिरा जिसे उम्र भर,
वो मक़ाम कहीं खो गया,
हंसी चेहरे की झुर्रिओं में खो गयी कहीं,
दर्द तो भीतर था,
भीतर ही सो गया।।