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तुम भी कब तक मन भरते हो मैं चाहत की बेलरी मूरत तुम भी कब तक मन भरते हो मैं चाहत की बेलरी मूरत
पतझड़ इक दिन खुद आएगा, और आकर मुझको रोकेगा, पतझड़ इक दिन खुद आएगा, और आकर मुझको रोकेगा,
बहकते बहकते हवा भी रुक गयी शाम ढले ठहरी रही मौज बहकते बहकते हवा भी रुक गयी शाम ढले ठहरी रही मौज
अभिव्यक्ति जाती रही, मन ढँका ही रह गया, अभिव्यक्ति जाती रही, मन ढँका ही रह गया,
इनकमिंग का दर्द हद से गुजरने लगा वो किसी और पे मरने लगा ! इनकमिंग का दर्द हद से गुजरने लगा वो किसी और पे मरने लगा !