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Ved Shukla

Others

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Ved Shukla

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कनेक्शन के फल

कनेक्शन के फल

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इनकमिंग का दर्द हद से गुजरने लगा,

 वो किसी और पे मरने लगा,

 बड़ी शिद्दत से उगाई थी लौकी और तमाम सब्जियां,

 कोई बिना पहचान में चरने लगा,

हर रोज़ की उल्फत रही यादों के बिना,

विथ हार्टबीट अंदर से सिंगर मरने लगा !

दोनों जुड़े एक टावर से थे,

 प्रयोगवादी एक ढोर उसके सिग्नल चरने लगा,

 वायरस आ गया! वायरस आ गया !

जवानी में हड़कंप सा मढ़ने लगा,

पीछे बड़ी बगिया थी,

 कुछ सब्जियां उधर से इधर लपक कर हंस रही हैं,

 शर्तें आशिक़ ने पूर

ी की नहीं,

लो इसी से सिग्नल कटने लगा,

 हवा डिजिटल हो गयी ;सबकी वफादार हो गयी ,नेटवर्क की परेशानी पिछली थी,

अब तो हर रात फ़ोन भी कटने लगा,

बड़ी आधुनिक लगी हर राज़ की बात हुई तो,

 सास की इमेज सत्तर लगी,

जब खुलने लगी तो ४जी में फंस गयी,

 इमेज भी किसी कला का कारनामा था,

जब खैरात बँटी तो वो भी बँटने लगी,

पड़ोस में बंटी कम पढ़ा था,

रात वाला ट्यूशन उसपे भी चढ़ा था ,

सर के बालों का बोझ बढ़ने लगा ,

मोबाइल हाथों में लिए सीधा कनेक्शन मरने लगा!!.


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