अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
जिंदगी की आपाधापी में
काम की व्यस्तता में
जीवन समरसता में
कंधे पर टँगे बोझ से
अदेखे दायित्व
स्वार्थपरता
हल करते
व्याकरण
लाभ हानि का
ठहरी हुई भावनाएँ
नीरस कर देती हैं
जीवन के क्षण
मिक्त देती हैं
जीवंतता का उल्लास
शेष रह जाती है
निर्मल स्नेह की
अमिट प्यास ।
ऐसे में
गमकती सोनजुही की
महकती खुशबू से
सहला जाते हैं
हर लेते हैं
अंतर्मन की वेदना
स्वार्थरहित
केवल
अपनत्व की चाशनी से
सराबोर करते
अनन्त काल तक
बांधे रखते हैं
अनदेखे बन्धन से
कुछ अनकहे रिश्ते ।
