अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
जीवन के अनकहे रिश्ते
हर कदम पर मिल जाते है
कभी सफर में कभी राह में
बहुत से मुसाफिर मिल जाते है
कोई दोस्त बन जाता है
कोई हमसफर बन जाता है
खुन के रिश्तों से बढ़ कर
कोई फरिश्ता बन जाता है
कोई हमराज बन जाता है
नाम नहीं उन रिश्तों का
जो अनकहे कहलाते हैं
अपनापन बहुत होता है उनमें
यही सबको बतलाते हैं
