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Shyama Sharma Nag

Inspirational

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Shyama Sharma Nag

Inspirational

अनकहे लम्हे..........

अनकहे लम्हे..........

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त्राहिगत रात है 

दिन जैसे आघात है

खोया-बचा साथ है

दहशतों का दौर है

हर ओर शोर है 

घटा घनघोर है 

ज़िंदगी का सूरज 

छुपा है जैसे चोर है

फिर भी -

दिशा-दिशा हुंकार है

उम्मीदों की झंकार है

दिल की यह पुकार है

अँधेरा छँटेगा 

कोहरा हटेगा

सूरज चमकेगा

धूप खिलेगी 

उजली सुबह फिर होगी

ज़िंदगी पहले से ज़्यादा हसीन होगी।


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