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shourya mishra

Tragedy

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shourya mishra

Tragedy

अनजान

अनजान

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कोई राह नहीं ,

ठहरने को कोई मंजिल नहीं !

बस चले जा रहे हम 

पर कहां 

हमें भी पता नहीं ।

इस माया में सब फसे हैं,

निकलने को हैं सबको पता !

कोई निकलता नहीं ।

वो चांद को लाने की बात करता है

जो सिर्फ उसके आंखो से दिखता है और किसी की आंखो से नहीं।

क्या कहूं !

क्या रूप हैं क्या कुरूप हैं ,

उसके बनाए हैं बस 

सब का अपना अलग ही आनंद हैं।


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