STORYMIRROR

shourya mishra

Abstract

3  

shourya mishra

Abstract

बेवफ़ा शायर

बेवफ़ा शायर

1 min
156


मैं बेवफ़ा हूं

        फिर भी दुनिया मेरी दीवानी हैं

मैनें कितनों का दिल तोड़ा 

      मुझे याद नहीं...

       फिर भी दुनिया मेरी दीवानी हैं


ये कैसा इन्सान बनाया तूने रब

 जिसे मोहब्बत आती नहीं ।


जो कभी हँसते थे  

        आज रो रहे हैं

 उसकी बेवफाई की कहानी सुन के

     आँखो से  बूंद बह रहे हैं।


जिस्म से खेलना तेरी आदत हो गई है

        इसी आदत से हम से बेवफाई हो गई ।

 

वह कहती है....

     अब हम तेरी यादों से भी जा रहे हैं

फिर भी कंमब्बत-ए-दिल 

      तुम्हारे पास ही आते जा रही हैं।

 

  आज कल हम वेपरवाह भी कहे जा रहे है

     फिर भी दुनिया इसी की दीवानगी में आ रही हैं।

मैं हूं बेवफ़ा शायर 

      फिर भी दुनिया मेरी दीवानी है

उनकी बातें अब मुझे भी हँसने नही देती

    उनकी यादें सोने नहीं देती

 मौत तो आती है 

     पर मरने नही देती ......


 फिर भी वह किसी और कि होने भी नही देती ...।

 वह कहती हैं 

        तुम ना हो सके किसी के भी होने नही देगें ..

  मेरे जिस्म में तेरे रूह की आदत हो गई हैं

   हर बार की तरह 

           वेपरवाह की तरह

वेवफाई कर 

        बेपनाह मोहब्बत हो गई है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract