अनाथ बुजु़र्ग
अनाथ बुजु़र्ग
अकसर लोगों को
कहते सुना है
बच्चे अनाथ हो जाते हैं
जब मां बाप उन्हें
अकेला छोड़ जाते
उनसे रिश्ता तोड़ जाते हैं
पर यह भी सच है
कि आज के दौर में
बूढ़े बुजुर्ग भी
अनाथ हो जाते हैं
जब उनके बच्चे
उन्हें अकेला छोड़ जाते हैं
जो हुआ करते थे
कभी घर की रौनक
अपनी सांझ बेला में
शायद बेकार हो जाते हैं
ये भी अनाथ हो जाते हैं
बढ़ती गगनचुंबी इमारतों संग
लोगों की सोच तरक्की बढ़ने लगी
पर घर के बूढ़े बुजुर्गों के लिए
लोगों की सोच घटने लगी
इनका साथ बोझिल लगने लगी
उम्र जिन्होंने बिता दिया
बच्चों की फिक्र करने में
बच्चें तो आज व्यस्त हैं
बुजुर्गों की कमियों का
जिक्र करने में
इनके दिल में दफन हो जाते
दिल के कई किस्सें
इस जमाने के एकाकीपन में
आखिर ये कहे भी बात किससे
जिंदगी दूभर सी हो गई जीने से
जाने कितने उतार-चढ़ाव देखते हुए
जीवन का सारा अनुभव लेते हुए
मन की बात मन में रखकर
एक दिन बेसहारा हो जाते हैं
बुजुर्ग अनाथ हो जाते हैं
तारीखों में धीरे-धीरे
ये व्यतीत हो रहे हैं
लेकिन आज रहकर भी
हर पल अतीत हो रहें
शायद जीकर पलपल मर रहे
आज घर के बुजुर्ग शायद
रद्दी अखबार जैसे हो जाते
शरीर ना साथ दे पाता
कीमत ना उनकी कोई आंकता
बेचारे अनाथ हो जाते
आज पेड़ कट रहे
इमारतें खड़ी हो रही
नए दौर के नए विचार
बुजुर्गो का साथ छोड़ रही
वृद्धावस्था दम तोड़ रही
उम्र के आखिरी क्षणों में
टिमटिमाते दिए से जलते हैं
कुछ रौशनी पाने को
यूं ही मचलते हैं
मौत के हर कदम पर
अपनी सांसों को जीतते जाते हैं
ये अनाथ हो जाते हैं
किस हद तक ये चलेंगे
अपनी यादों के सहारे
अपनी वृद्धावस्था में
ताकतें दूसरों से सहारे
एक दिन बेसहारा हो जाते
शायद अनाथ हो जाते
सदियों कि कहानियां समेटे रहते
एक दिन बिस्तर पर पड़ जाते
दूआ आशीष देते हुए
बच्चों की स्नेह आशा करते हुए
ये अनाथ हो जाते हैं
एक दिन दुनिया से विदा हो जाते हैं।