Chandra prabha Kumar
Fantasy
परहित फटा मैं
चुगने दिये दाने अपने,
चुग चुग दाने उड़ गई चिड़िया
स्वार्थ की है दुनिया।
जब तक है मतलब,
सब आते पास।
पूरा हुआ मतलब,
कोई न रहता पास।
लिये खोखले अनार,
खड़ा अब मैं एकाकी,
फिर भी सौन्दर्य है भरपूर,
निष्काम सुख दुख से दूर।
हाइकु
सूरज
चेतना विस्तार
श्रीप्रभु के ...
आ बरसो मेघा
आज रक्षाबन्धन
जन जन का प्या...
अमृत महोत्सव
प्रिय मेरा
ऑंवले का वृक्...
कभी तुम यूँ करना कि हमेशा के लिए सिर्फ मेरे हो जाना। कभी तुम यूँ करना कि हमेशा के लिए सिर्फ मेरे हो जाना।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
हाँ! बेमानी है तुम्हें ढूंढना , जग के किसी भी नज़ारे में! हाँ! बेमानी है तुम्हें ढूंढना , जग के किसी भी नज़ारे में!
सूरज फिर समुन्दर के उस पार सूरज फिर समुन्दर के उस पार
दिन रात चैन ना आए, अजब सी तड़पन दिल घबराए। दिन रात चैन ना आए, अजब सी तड़पन दिल घबराए।
परिस्थितियाँ अनुकूल होगी इस पर जागता विश्वास है। परिस्थितियाँ अनुकूल होगी इस पर जागता विश्वास है।
कल्पना को हकीकत बना नहीं पाती हूँ कल्पना को हकीकत बना नहीं पाती हूँ
हवा के हिंडोले पर बैठ कर चाँद के घर दावत पर चल। हवा के हिंडोले पर बैठ कर चाँद के घर दावत पर चल।
तब शायद राधा राधा होगी और मीरा केवल मीरा। तब शायद राधा राधा होगी और मीरा केवल मीरा।
तो अगर परवाह करना भी गलत है तो हाँ मैं बेवकूफ हूँ। तो अगर परवाह करना भी गलत है तो हाँ मैं बेवकूफ हूँ।
तुम मुझे लगता था नई इन्सान अपने के बारे सोच कर सकते खुद को संभालो। तुम मुझे लगता था नई इन्सान अपने के बारे सोच कर सकते खुद को संभालो।
आधी रातों की वें आधी बातें आधी बातों के वें अधूरे किस्से, अधूरे किस्सों के थमे हुए सि आधी रातों की वें आधी बातें आधी बातों के वें अधूरे किस्से, अधूरे किस्सों के थमे...
ख़्वाबों की दुनिया का एक कलाकार बनना है मुझे खुद के अरमानों को पंख लगाकर चुनना है... ऐसी भी हसरत हो... ख़्वाबों की दुनिया का एक कलाकार बनना है मुझे खुद के अरमानों को पंख लगाकर चुनना ...
ख्वाबों की वो तितलियाँ.. ख्वाबों की वो तितलियाँ..
बस एक ख्वाहिश बची है काश ! मुझे फिर मिल जाए बचपन। बस एक ख्वाहिश बची है काश ! मुझे फिर मिल जाए बचपन।
अँधेरे की गुफा में होने कैद अँधेरे की गुफा में होने कैद
बस एक महफ़िल हो, जिसके मंच पर हर कवि हो । बस एक महफ़िल हो, जिसके मंच पर हर कवि हो ।
आप चाॅंद पर गये और वह आपसे बात करने लगा तो आप क्या कहेंगे उसे...? सोचिए...!!! तब तक अलार्म बजने दो न... आप चाॅंद पर गये और वह आपसे बात करने लगा तो आप क्या कहेंगे उसे...? सोचिए...!!! तब...
चंद्रमा का यूँ ओझल हो जाना चंद्रमा का यूँ ओझल हो जाना
ऐसा लगता है जैसे हम नहीं, कविता हमें रच रही है। ऐसा लगता है जैसे हम नहीं, कविता हमें रच रही है।