अमृत महोत्सव (७५वां स्वतंत्रता दिवस)
अमृत महोत्सव (७५वां स्वतंत्रता दिवस)
हम कभी थमते नहीं,
हम कभी झुकते नहीं,
हम पीछे तकते नहीं,
हम जो भी कहते हैं;
कर गुजरते हैं वही।
आँधी और तूफान हो,
बेहिसाब बरसात हो,
भूकंपन वा ज्वार हो,
आतंकियों की चाल हो,
हौसला बुलंद रखते हैं;
लड़ कर जीते सदा सही।
अमावस्या की रात हो,
दानवों का प्रहार हो,
जुल्मोसितम विकराल हो,
शोषण हाहाकार हो,
आन खातिर लड़ मरते हैं;
देखलो पलट सारी बही।
