अमर
अमर
मातृभूमि की रक्षा की खातिर,
विनम्रता से वीर जो शीश नमाते।
तिलक किया लहू से अपने,
साकार किए स्वतंत्रता के सपने।
माँ भारती के लिए चढ़ाए सर,
खून की होली खेलने चला हर सिंह।
वतन के लिए करने चले जंग,
सीमा पर शहादत दे तिरंगा लिए चले संग।
वन्देमातरम स्वर जिनको है प्रिय,
कुर्बानी पुकारती न रहो निष्क्रिय।
हर कायरता, धोखे का लो हिसाब,
राष्ट्र हो हरदम जवां लिखो नई किताब।
कर्म पथ के जो अनुरागी,
हर शहीद जो है वैरागी।
हर सिंह जो जीवन न्यौछावर करते,
अजर अमर शहीद को कोटि कोटि प्रणाम हम करते।