*शीर्षक:- विवाह
*शीर्षक:- विवाह
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बेटी सिर्फ शास्त्रों में अनमोल ,
जन्म से ही बजते विवाह के ढोल।
चिंता सताती पिता को विवाह की हरदम ,
पढ़ लिख ले बेटा तो कष्ट होंगे कम।
एक कोमल चिड़िया को पिंजरे में बांध दिया,
जीवन, रिश्ते क्या मालूम नहीं उस पर सारा बोझ डाल दिया।
एक संस्कृति सभ्यता संस्कार विवाह ,
मीठे संबंधों का व्यवहार विवाह।
स्नेह, त्याग व समर्पण विवाह,
भिन्नता में एकता का आयाम विवाह।
