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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Inspirational

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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Inspirational

अमिय स्वरूपा माँ

अमिय स्वरूपा माँ

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अन्तर में सुधा भरी है पर, नैनों से गरल उगलती है,

मन से मृदु जिह्वा से कड़वी, बातें हरदम वो कहती है,

जीवन जीने के गुर सारे, बेटी को हर माँ देती है,

बेटी भी माँ बनकर माँ की, ममता का रूप समझती है।


जब माँ का आँचल छोड़ दिया, उसने नूतन घर पाने को,

जग के घट भीतर गरल मिला, मृदुभाषी बस दिखलाने को,

जो अमिय समान बात माँ की, तूफानों में पतवार बनी,

जीवन का जंग जिताने को, माता ही अपनी ढाल बनी।


जीवन आदर्श बनाना है, अविराम दौड़ते जाना है

बेटी को माँ की आशा का, घर सुंदर एक बनाना है,

मंथन कर बेटी का जिसने, गुण का आगार बनाया है,

देवी के आशीर्वचनों से,सबने जीवन महकाया है।


भगवान रूप माँ धरती पर , ममता की निश्छल मूरत है

हर मंदिर की देवी वो ही, प्रतिमा ही उसकी सूरत है

जो नहीं दुखाता माँ का मन, संसार उसी ने जीता है

वो पुत्र बात जो समझ सके, जीवन मधुरस वो पीता है।


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