Monika Jayesh Shah

Abstract Fantasy Others

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Monika Jayesh Shah

Abstract Fantasy Others

अलविदा

अलविदा

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चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

 जीवन है...छोटा सा हमारा..

बड़े हो या छोटे हो.. जीते जी..

 सबसे ही हम क्षमा मांग लेते है!.

  चलो अलविदा कह ही देते।

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो !

कभी किसी को गलत कहा हो..

या बाय मिस्टेक हम ही गलत हो..

फिर भी हम माफी मांग ही लेते हैं!.

चलो अलविदा कह ही दे..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

रिश्ते नाते अहम थे..

कुछ दिन कुछ पल खास थे..

हर रिश्तों की गहराई को हमने मापा..

प्यार हमने अपना सबके दिलो में पाया।

चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

कभी किसी के लिऐ कुछ कर ना पाए;

कभी किसी को हम समझा ना पाए;

मन हमारा सबके प्रेम में टूटता चला गया..

अपना प्यार कभी दिखा ना पाए...!

चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

हर वक्त हम अपने काम में बिजी रहे..

कभी अपनी कभी दूजी बात सुनते रहे!

कभी हम राजदार बने कभी हम लाचार..

अपनो के बीच हम अपना अपनत्व ढूंढते रहे!

चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

कभी हम में कुछ अच्छाई होगी

कभी बहुत सी बुराई.

चलो माफ कर देना हमे..

हमने क़िस्मत ही ऐसी पाए!

चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।

क्या पता किस मोड़ पर..

हमारा ये जीवन रुक जाए;

आज हम बात कर रहे हैं..

कल सबसे अलविदा कह

हम जय श्री कृष्ण कह जाए!

चलो अलविदा कह ही देते है..

क्या पता कब किस मोड़ पे

ये ज़िन्दगी खतम हो ।



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