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Ajay Yayavar

Tragedy

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Ajay Yayavar

Tragedy

अलहदा-सी ये बेटियां

अलहदा-सी ये बेटियां

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घर के आंगन में खेलती-कूदती मस्त-मग्न

अलहदा-सी ये बेटियां कितनी प्यारी दिखती

घर के सारे बोझों को अपने सिर पर उठा

ब्याह से पहले ही मां की भूमिका बन जाती हैं ।

      

मां और बापू को मुक्त कर घर के सारे कार्यों से

खुद निपटाती चूल्हा-चौकी, 

बरतन-बासन, झाड़ू-पोछा ।


वो खेत-खलिहान भी जाती है

और भेजती है सरकारी स्कूल नित

अपने छोटे-छोटे भाई-बहनों को

'अ ' से 'अधिकार ' और

'आ' से 'आजादी ' पढ़ने

ताकि मांग सके उसके भाई-बहनें

अपने 'अधिकार' और 

छीन सके अपनी 'आजादी '

सत्तासीन हुक्मरानों से ।


वो कभी स्कूल नहीं गयी

पर जानती है...

अपनी सभ्यता-संस्कृति को

और सदा बनाये रखती है गरिमा

अपने समाज, अपने मां-बापू के।


ये बेटियां सीख गयी है

संघर्षों को अपना हथियार बनाना

डटकर परिस्थितियों से सामना करना

तोड़कर रूढ़िवादी परंपरागत कुरीतियों को

आगे बढ़ इतिहास रचना। 


अब,

बकायदा अलहदा-सी ये बेटियां

सीख गयी है समाज से विद्रोह करना

अपनी हक़, अपनी आजादी के लिए ।


अलख जगाती, आवाज़ उठाती 

अलहदा-सी ये बेटियां कितनी प्यारी दिखती। 

       


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