पिता
पिता
पिता का दिल एक समंदर है
जिसमें सम्माहित रहता है
परिवार की सारी सुख-दु:ख!
वो समंदर कभी उफान नहीं मारता
उसके जल-तरंग कभी ज्वार-भाटा नहीं लाता
बस स्थिर रहता सदैव अपनी जगह मौन खड़ा
और परिस्थितियों का इंतजार करता रहता!
अब, पिता को तो इल्लत-सी हो गयी है
उन परिस्थितियों का हर रोज सामना करना!
पिता को कोई फर्क नहीं पड़ता
चाहे दिन हो या रात, सर्दी हो या गर्मी
सदैव ढूंढ़ते रहते परिवार की खुशियां
और अपना सारा जीवन यूं ही गुजार लेते
अपने चाहत, इच्छाओं को दरकिनार कर!
पिता की हसरत होती है सिर्फ एक
काबिल बनें संतान और उनसे हो मेरी पहचान।
