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अकेले है मगर खुश है

अकेले है मगर खुश है

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अकेले है मगर खुश है

किसी के प्यार की तलाश नहीं है

लेकिन रात को २ बजे तक,

ऑनलाइन हम भी रहते है


सुबह किसी का गुड मॉर्निंग

नहीं आता है

लेकिन वाट्सएप रोज चेक करते है

अकेले है मगर खुश है


हालात हम पर भी वार करते है

हौसले हमारे भी टूटते है

खड़े होने के लिए मगर,

खुद के पैरों पर ही भरोसा करते है


कभी कभी रात हमारे लिए भी

तन्हाई को साथ ले आती है

एक सिरहाने और एक

तकिए पर हाथ रख,

हमारी रात गुज़र जाती है


बाहर के कामकाज की लिस्ट,

हमारी भी लंबी है

बाज़ार में सब अकेले खरीदना,

हमारे लिए भी मुश्किल है

सीढ़ी से घर तक रोज एक न

एक सब्जी गिरती है

मगर ऐसे ही तो

बिना पंखों के उड़ान होती है


कोई चखने वाला नहीं होता नई डिश,

मगर ज़िन्दगी का जायका

हम भी पूरा लेते है

कमी किसी के हाथ की,

महसूस हमे भी होती है

नुक्कड़ पर जब छिछोरों की नज़रे,

हमे घूरती है

समंदर के किनारे बैठ कर

दर्द भरे नगमे हम भी सुनते है

अकेले रहते है मगर खुश रहते है।


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