मां तो बस ऐसी होती है
मां तो बस ऐसी होती है
ममता की होती है मूरत ,
और प्यारी सी सूरत होती है,
जो जीती है औरों की खातिर,
मां तो बस ऐसी ही होती है
चैन नहीं उसको जीवन में,
हर पल चलती रहती है,
औरों को खुश रखने के लिए,
अपनी खुशियां छोड़ देती है।
रिश्तों को बचाने की खातिर
चुपचाप सब कुछ सहती है।
बड़ी ही क़ाबिलियत से अपने,
हरएक रिश्ते को निभाती है।
नींद की नहीं परवाह उसको,
आराम कभी नहीं वो करती है,
बच्चों को खुश रखने की खातिर,
अपना सबकुछ न्यौछावर कर देती है।
उसके त्यागों का हिसाब नहीं कोई,
जो जिंदगी भर वो देती रहती है,
है पूजनीय भगवान के बाद वही तो,
जो घर को एक मंदिर बना देती है।