प्रेम विहीन जीवन
प्रेम विहीन जीवन
प्रेम विहीन जीवन नहीं ,
जिसका कोई शब्द नहीं ।
बिन प्रेम विहीन है कहां,
जिस प्रेम का अर्थ नहीं ।
अर्थ जिसका प्रेम नहीं ,
व्यर्थ प्रेम ये अनुराग नहीं ।
हृदय अनंत काल जहां,
प्रेम निश्चित अनुभव नहीं ।
विहीन हृदय योग्य जहां,
निहित प्रेम वियोग नहीं ।
विहीन प्रेम अर्थात वहां,
निश्चित प्रेम अधिक नहीं ।
निश्चय प्रेम मार्ग हो सही,
जीवन विपरीत हो नहीं ।
प्रेम अनुराग सा हो वहां,
जहां विहीन व्यर्थ नहीं ।