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Anupama Thakur

Abstract Inspirational

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Anupama Thakur

Abstract Inspirational

अज्ञान

अज्ञान

1 min
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पढ़ ली भागवत गीता मैंने

प्राप्त कर लिया जगत ज्ञान,

रिश्ते सारे मिथ्या हैं

संसार एक माया है।

 

सब कुछ समझा

सब कुछ जाना,

फिर भी मोह न तज पाया।

धृतराष्ट्र रूपी मैं

पुत्र मोह में फँसा रहा,

देख अनुचित आचरण भी

आँखें अपनी मुंदा रहा,

पढ़ ली भगवत गीता मैंने

फिर भी मोह न तज पाया।

 

दुर्योधन रूपी मैं

पद- प्रतिष्ठा के मद में

औरों को नीचा दिखाता रहा,

वास्तविकता को भुलाकर

सत्ता के मद में चूर

अधर्म ही करता रहा,

पढ़ ली भागवत गीता मैंने

फिर भी मोह न तज पाया।

 

दुशासन सा अहं पाला

अपमान औरों का करता रहा,

बल के मद में अंधा हो

कमजोरों को दबाता रहा,

पढ़ ली भागवत गीता मैंने

फिर भी मोह न तज पाया।

 

इस नश्वर काया को

सजाने में

घंटों मैं लगा रहा,

मोह माया में फँसा मैं

बस मंदिर-मंदिर घूमता रहा।

सभी कामनाओं में लिप्त मैं

खुद में ईश्वर को खोज ना सका,

भागवत गीता पढ़ ली मैंने

फिर भी मोह न तज पाया।


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