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Anupama Thakur

Abstract

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Anupama Thakur

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जनक्रांति

जनक्रांति

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हे नारायण मुझको ऐसा वरदान दो

कुछ ऐसा लिखूं जन-जन में क्रांति का संचार हो

नस-नस में स्फूर्ति और देश भक्ति का प्रवाह हो

घर -घर से हर बालक -बालिका

मातृभूमि पर मिटने तैयार हो


हे जनार्दन मुझको ऐसा वरदान दो

राष्ट्रद्रोहियों के सर कट जाए कलम मेरी तलवार हो ,

अबला, निर्बला, बेबस का अभिशाप मिटाकर

हर स्त्री रणचंडी का अवतार हो


हे यशोदा नंदन मुझको ऐसा वरदान दो।

मेरी कलम कुछ ऐसा कर दे

भ्रष्टाचार का नामोनिशान ना हो

हर अत्याचारी थरथर कांपे

नरसिंह का पुनः अवतार हो


हे जगन्नाथ मुझको ऐसा वरदान दो।

मेरे सैनिकों के पास भी दिव्य

अस्त्र -शस्त्रों का भंडार हो

शत्रुओं को नेस्तनाबूद कर दे

हर तरफ भारत की जय जयकार हो

हे देवाधिदेव मुझको ऐसा वरदान दो।


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