अजनबी दुनिया के अजनबी लोग
अजनबी दुनिया के अजनबी लोग
मोबाइल इंटरनेट से जुड़ा ऐसा नाता,
बिखर गया वो खेलता कूदता परिवार,
और बिखर गयी उनकी खुशियां,
फेसबुक इंस्टाग्राम पर दिनचर्या डालते,
WhatsApp पर गुड मॉर्निंग और गुड नाईट का मैसेज डालते,
बस इतने में ही हमारी दुनिया सिमट गयी,
वो साथ बैठकर खाना खाते हजारों बातें करना,
वो पुरानी कहानियों को सुन ठहाका मार हंसना,
मानो इंटरनेट वालीं इस दुनिया में कहीं खो सा गया,
जो यादें साथ मिलकर साझा करते थे,
आज फेसबुक पर डाल देते है,
नही तो लाइव वीडियो बना लोगो को बताते है,
मानो इस दुनिया मे बड़े बुजुर्ग तो है नही,
बस मोबाइल ही उनके सबकुछ है,
उन्हें देखकर खाना बनाना सीख जाते है,
उनकी देखा देख परम्पराओं को निभाना सीख जाते है,
उनकी देखा देख रिश्तों को
भी निभाना सीख जाते है,
शायद तभी,
हर तीन महीने मे तलाक जैसे केसो की संख्या बढ रही है,
बच्चे परम्पराओं को जानते नही है,
रिश्तों की कद्र करना नही जानते,
बडे बुजुर्गो के पास बैठना भूल जाते है,
और एक दिन शायद अपने मातापिता को भी भूल जाए,
और मोबाइल को ही अपना भगवान मान बैठे,
वाह ही आधुनिक दुनिया और वहां के आधुनिक लोग,
मोबाइल हमारी सुविधाओं के लिए है,
अपनो से दूर जाने के लिए नहीं,
इंटरनेट दूर बैठे लोगो से बात कर सकें उन्हें देख सके,
न कि पास बैठे लोगो से बाते करना ही भूल जाएं,
आप सोचो आज यह हाल है आगे क्या होगा?
देखो और समझो तुम,
किसी वस्तु की अधिक चाह हमें मतलबी बना देती है,
और हम एक नमूने बनकर रह जाते है।