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मिली साहा

Abstract Inspirational

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मिली साहा

Abstract Inspirational

अजीब रिश्ते हैं अजीब रस्ते हैं

अजीब रिश्ते हैं अजीब रस्ते हैं

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अजीब रिश्ते हैं अजीब रस्ते हैं,

जिसे समझो अपना दिल से वही पराया कर देते हैं,


समझना मुश्किल है कौन अपना है कौन पराया,

कैसे पहचानें हम चेहरों पर जाने कितने चेहरे लगे होते हैं,


सजाते हैं खूबसूरत ख़्वाबों की दुनिया जिसके साथ,

वही बीच सफ़र में अकेला छोड़ अपना रास्ता मोड़ लेते हैं,


दिखावे की जिंदगी दिखावे की मुस्कुराहट है यहां,

इसी दिखावे में लोग कितने खूबसूरत रिश्ते यूं ही गंवा देते हैं,


कहने को तो बहुत अपने हैं पर अपनापन है कहां,

मुंह पर तो मीठी मीठी बातें करते और पीठ पीछे छुरा घोंपते हैं,


एहसास की कोई कीमत नहीं विश्वास का सौदा होता है,

खोखले होते हैं वे रिश्ते जो दिल से नहीं दिमाग से निभाए जाते हैं


किसी की कर दें हम झूठी तारीफ़ पल में अपना बन जाते हैं,

अगर कह दो थोड़ी सी सच्चाई तो मुंह मोड़ कर चले जाते हैं,


रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं,

कभी बदल जाते रिश्ते हमारे तो कभी रास्ते ही बदल जाते हैं,


अजीब है दुनिया का दस्तूर कद्र करने वालों की कद्र नहीं होती,

और चापलूसी करने वालों को ही लोग अपना समझ लेते हैं,


लेन-देन की तराजू में तोला जाता मानों रिश्ता नहीं व्यापार है 

काश लोग समझ पाते रिश्ते बाजार में नहीं मिलते दिल से बनते हैं।


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