STORYMIRROR

Gzala Shakir

Abstract

3  

Gzala Shakir

Abstract

ऐसा सोचा न था

ऐसा सोचा न था

1 min
299

सफर ए जिंदगी में फिर टकराएंगे हम कहीं

सोचा न था।


अचानक सामने देखकर मुझको तुम इतना हैरान होगे

सोचा ना था।


किस्मत हमें फिर कभी जिंदगी में यूं मिलाएगी दोबारा

सोचा न था।


ख्वाब से लगेंगे जुदाईयों के दिन भी कभी

सोचा न था।


यूं साथ मिलकर हम दोनों खुदा का शुक्र अदा करेंगे

सोचा ना था।


आंसुओं से मिट जाएंगे सारे सदियों के शिकवे गिले

सोचा न था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract