सुर्ख़ है हर आँख यहां
सुर्ख़ है हर आँख यहां
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सुर्ख है हर आँख यहां इतना
कि मुश्किल है हालात यहां इतना
वार दुश्मन का नहीं गुजरा कोई खाली
दिल हुआ जख़्मी कहीं जिगर हुआ छलनी
ऐ गर्दिशे दौर हम पर बहुत एहसान है तेरा
अच्छे बुरे हालात में हमें तू ने दिया सहारा
समझौता हर बार अश्के नदामत से की है
हमने ऐलाने बगावत तो इस बार की है
जिसने ख़्वाब देखा है करने का हमें रुखसत
भूल है यह उसकी हम कर देंगे उसे रुखसत
यह मुल्क हमारा है कोई जागीर नहीं तेरा
नया कानून बनाने का अभी औकात नहीं तेरा।