“ऐ” दिल, आज फिर…
“ऐ” दिल, आज फिर…


दिल के कोने में
सिकुड़ी – सिमटी सी इक ख़्वाहिश
अक्सर
करती है फरियाद दिल से
“ऐ” दिल, आज फिर…
भूल उम्र का तकाज़ा
जिम्मेदारियों के बहाने
चल पड़ उस राह पर
जहां वक़्त अभी रुका सा है
सफ़र भी थमा सा है
और
ना जाने कितनी दास्तां
जिंदगी को समेटे खुद में
बन अफसाना
और यादों का सिलसिला
गुम है किसी इक मोड़ पर
ऐ दिल, आज फिर …