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ARCHANNAA MISHRAA

Tragedy

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ARCHANNAA MISHRAA

Tragedy

अग्निपथ

अग्निपथ

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आज का ज़वान हुआ हैं बड़ा ही लाचार।

सभ्यताओं ओर सरकारों के बीच झूला झूल रहा।

निज मनुष्यता का सीना चीर रहा।

इस नर विभीषिका का कौन हें ज़िम्मेदार।


चारों ओर हैं दहशत छाई 

जाने अब क्या होगा आगे भाई।

दशा ओर दिशा का बोध कराना होगा।

सबको संज्ञान में आना होगा॥


आज का युवक वर्तमान ओर भविष्य के बीच हुआ लाचार।

राष्ट्र बोध कराना होग़ा,

अपनों का महत्व समझाना होग़ा ॥

दंगाईयों ओर उपद्रियों को सबक़ सिखाना होगा।

सबका हो कल्याण कुछ ऐसा कर दिखाना होगा।

ख़ुशहाली छाएँ चहुँ और,

अपनत्व बढ़े पुरजौर,

कुछ ऐसा बिगुल बजाना होगा,

फिर से राष्ट्रवाद का गाना गाना होगा।

भटके हुए क़ो सही रास्ता दिखाना होग़ा।


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