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Rajeev Rawat

Inspirational

4  

Rajeev Rawat

Inspirational

अग्नि पथ--दो शब्द

अग्नि पथ--दो शब्द

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320


अग्नि पथ--दो शब्द

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हर पल बदलता है समय का चक्र

कभी सीधा, कभी टेढ़ा और कभी कभी वक्र -

हर कदम है मुश्किल तेरा संभल कर चल, 

जिंदगी की कटीली राह से गुजरता जीवन का रथ-

अग्नि पथ--अग्नि पथ-अग्नि पथ-


संबधो की डोर खींचतीं है-

प्यार की धारा भी तेरी राह सींचती है-

माना डगमगाते कदमों को भी कभी कभी थाम लेते हैं लोग-

पर छोड़ कर सहारे भी अक्सर भाग लेते हैं लोग - 

यह दुनिया इतनी भी आसान नहीं-

कौन है जिसकी राह में यहां व्यवधान नहीं - 

एक दूसरे को गिराने में यहां हैं सभी रत-

अग्नि पथ--अग्नि पथ-अग्नि पथ-


फेंक कर तेरे सामने दो रोटी-

करते हैं उपभोग शरीर का समझ कर बोटी-

स्वार्थ के रथ पर हैं सभी आसीन हो जाते यहां - 

कभी धर्म, कभी कर्म और कभी कभी

जाति के नाम पर शीश चढ़वाते यहां -

कहीं प्यार है, कहीं अधिकार है-

कहीं रूदन है तो कहीं पुकार है-


कभी गले से लगाता, कभी करता तिस्कृत-

कभी यादों में बसाता, कभी करता विस्मृत-

जिन्हें समझा था अपना

वही कुचल कर सफलता के शिखर पर चढ़ जाते हैं-

मेहनत कस और सच्चाई का दामन थामे

अक्सर वेबस से नजर आते है-

अपने लिए नहीं बस दूसरों के लिए ही सिद्धांत हैं

यह मत कर, वह मत कर-

अग्नि पथ--अग्नि पथ-अग्नि पथ-


सूर्य सा तप्त जीवन का समय चक्र - 

कभी वारिस की बूंदों से भींगता होता तृप्त - 

कभी पढ़ना है मुश्किल समुद्र की उछाल को-

बांधना है आंसान कहां मन के सबाल को-

कहीं टूटते हैं सपने, छूटते हैं अपने-

कहीं लोग मदहोश से, खोते हुए होश से-

सत्य की खोज में अमृत निकाल कर मथ-

अग्नि पथ--अग्नि पथ-अग्नि पथ-


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