अधूरी मुकम्मल मोहोब्बत
अधूरी मुकम्मल मोहोब्बत
बदलाव की एक आंधी कभी मुझमें भी बहा करती थी
पर आज बदलते हालत ने मुझमें खुद बदल जाने की
सहजता ला दी है
आज आईने में भी हज़ारों सवाल खड़ा कर दिए हैं
क्या तू वही बेमिसाल है ?
मैं मुस्कुरा के बस इतना कह पाती हूँ -
मैं तो उलझन हूँ अपने ही ख्वाहिशों की पर
तू तो मेरे एक अधूरी मुकम्मल मोहब्बत है।
