अधूरापन
अधूरापन
जिंदगी का सफर यूं ही
नहीं कटता अकेले
चाहे कितने ही हौसले
बुलंद करके हम चले
कुछ तो कम रह जाता
अपनो के बिना
कुछ अधूरापन सा
लगता है तुम्हारे बिना ।।
गुजंती नहीं कोई भी
शहनाई पवन बिना
झुलते नहीं झुले
दिलो में साजन बिना
ऋतू का ये चक्र
पूरा नहीं होता खिले बहारे बिना ।।
कुछ अधुरापन सा
लगता है तुम्हारे बिना ।।
गाता नहीं पपिहा
ऋतू मिलन के बिना
नाचते नहीं मयूर
खिलें गुलशन के बिना
यूं ही उडती नहीं
तितलियां बागों में
महके सुमन के बिना
चाहे कितनी भी
लंबी हो लहरे
सागर भी अधूरा है किनारे बिना ।।
कुछ अधूरापन सा
लगता है तुम्हारे बिना ।।