Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Varsha Zambare

Romance

3  

Varsha Zambare

Romance

गुन्हगार

गुन्हगार

1 min
142


हां मै गुन्हगार हूंं तुम्हारी

तुमसे प्रीत जो लगायी ।।

तुम्हारे इश्क ने इतना असर

डाला मुझपर की

मै तुलसी तेरे आंगन की बन गयी ।।


हां मै गुनहगार हूंं तुम्हारी

तुम्हारे मोहब्बत में 

शमा से जल गयी 

ना धुआं उठा ,ना राख हुयी

बस ऐसें ही खाक हुयी

फ़िर भी मै लडी सावन की बन गयी ।।


हां मै गुनहगार हूंं तुम्हारी

तुम्हारे मोहब्बत में 

नदी की धारा की तरहा बह गयी

अरमानों को पल्लू में 

बांधकर हर मुश्किलों को सह गयी 

फ़िर भी मै लहर पवन की बन गयी ।।


हां मै गुनहगार हूंं तुम्हारी

मै ही बनी मीरा , मै ही राधा

प्रेम का अमृत नसीब में कहां

बिरह का विष ही पी लिया ज्यादा

फ़िर भी मै सांस धडकन की बन गयी ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance