अब्रे सुख़न
अब्रे सुख़न
बहार आएगी तो
चिड़िया गुनगुनायेगी
बहार के आने से ।।
जुड़ा है चिड़ीया राग
मुझको कहाँ लेखन
की तमीज ओर तहजीब ।।
आपके लेखन को
देखता हूँ पढ़ता हूं
हूक उठती है
उनको गुनगुनाता हूँ ।।
शब्द जोड़ जोड़ रख
लेता हूँ लय ताल बिना
आगे पीछे ऊपर नीचे
फिर सेटिंग करता हूँ ।।
छाप देता हूँ
कोई लाइक तारीफ
मिले तो खुश ।।
वरना फिर से कोशिश
में लग जाता हूँ ।।
बहार की इन्तेजार में
उसी चिड़िया के माफिक
गुनगुनाने और लिखने को
सुर ताल जोड़ आप
सब को लुभाने को
खुशी मेरी आपकी खुशी से
इस कदर जुड़ गई है ।।
जैसे बहार से चिड़िया की
गुनगुनाहट सँवर गई है ।।
