Bhoop Singh Bharti
Tragedy
खून खून का होवता, सबतै बड्डा पाप।
कदे धुलै ना पाप यो, कितने करले जाप।
कितने करले जाप, पाप ना धुलता भाई।
अबॉर्शन ये करै, डॉक्टर बणे कसाई।
कहै 'भारती' देख, मान करो कानून का।
अबॉर्शन हो भई, खून अपणे खून का।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
ए नादान क्या जानता नहीं तू, यही तो है मेरा दस्तूर। ए नादान क्या जानता नहीं तू, यही तो है मेरा दस्तूर।
आजादी का अमृत महोत्सव मना लिए यह कितने गर्व की बात है। आजादी का अमृत महोत्सव मना लिए यह कितने गर्व की बात है।
परिकल्पना से परे था ये तांडव, भोले की सोच से भी परे था ये तांडव। परिकल्पना से परे था ये तांडव, भोले की सोच से भी परे था ये तांडव।
नौकरी के चक्कर में इंसान फिरता है मारा-मारा। नौकरी के चक्कर में इंसान फिरता है मारा-मारा।
रोजी रोटी के क्या दाने, खाने बिन खाने पछताने। रोजी रोटी के क्या दाने, खाने बिन खाने पछताने।
न शिक्षा, न तन पर वस्त्र पूरे, न भोजन भरपेट, अस्वच्छ स्थान, न शिक्षा, न तन पर वस्त्र पूरे, न भोजन भरपेट, अस्वच्छ स्थान,
जनता के लिए, जनता का शासन गणतंत्र का अर्थ न समझे मात्र देते हैं भाषण। जनता के लिए, जनता का शासन गणतंत्र का अर्थ न समझे मात्र देते हैं भाषण।
सत्ता गई तो फिर राम याद आने लगे दोहरा मापदंड और राम के प्यारों को सत्ता गई तो फिर राम याद आने लगे दोहरा मापदंड और राम के प्यारों को
अब वो वटवृक्ष न कभी खड़ा होगा न शीतल हवा देगा। अब वो वटवृक्ष न कभी खड़ा होगा न शीतल हवा देगा।
इन झूठे फरेबी अंधविश्वासों से बनते काम बिगड़ जाते हैं। इन झूठे फरेबी अंधविश्वासों से बनते काम बिगड़ जाते हैं।
बिक गया कितनी आँखों का पानी भी थोड़ा थोड़ा मेरा हिंदुस्तान बिक रहा है। बिक गया कितनी आँखों का पानी भी थोड़ा थोड़ा मेरा हिंदुस्तान बिक रहा है।
पति-पत्नी का पवित्र रिश्ता कीड़ा में द्रौपदी पर दांव लगवाए क्यूं। पति-पत्नी का पवित्र रिश्ता कीड़ा में द्रौपदी पर दांव लगवाए क्यूं।
कि खेतों में लहलहाती इन फसलों में, कितना दर्द है छुपा।। कि खेतों में लहलहाती इन फसलों में, कितना दर्द है छुपा।।
उस जननी के ख़्वाबगाह से बहते अश्कों की भयावह गाथा कोई क्या जानें। उस जननी के ख़्वाबगाह से बहते अश्कों की भयावह गाथा कोई क्या जानें।
साथ मिला अमरुद डाल का चली कुल्हाड़ी खट्टम खट। साथ मिला अमरुद डाल का चली कुल्हाड़ी खट्टम खट।
बेटी नहीं जन्मोगी तो कन्यादान कैसे कर पाओगी अपने प्यारे बेटे को बहु कहाँ से लेकर आओगी। बेटी नहीं जन्मोगी तो कन्यादान कैसे कर पाओगी अपने प्यारे बेटे को बहु कहाँ से ल...
एक त्योहार रंगों का उमंगों का होली का मनाकर एक त्योहार रंगों का उमंगों का होली का मनाकर
सच बोलने वाला अक्सर दुनिया में अकेला ही रह जाता है। सच बोलने वाला अक्सर दुनिया में अकेला ही रह जाता है।
क्यों न तब किसी कौशल्या, सुमित्रा कैकयी ने इस बात का प्रतिरोध किया...? क्यों न तब किसी कौशल्या, सुमित्रा कैकयी ने इस बात का प्रतिरोध किया...?
खिलजी की भी वासना पद्मावती के आगे हारी रक्षा ,स्वाभिमान की ऐसे करती है नारी। खिलजी की भी वासना पद्मावती के आगे हारी रक्षा ,स्वाभिमान की ऐसे करती ह...