अभिमान-सम्मान-अपमान
अभिमान-सम्मान-अपमान
जीवन में,
दोहरा-पन अपनायेंगे।
अपने फायदे के लिए,
अभिमान वश,
जब दूसरों का सम्मान,
नही कर पायेंगे।।
स्वयं सम्मान की,
पात्रता कैसे पायेंगे।।
जीवन में,
अपने मतलब को,
हमेशा आगे रख।
फरेब की कसौटी पर,
धन से जब,
रिश्ते तोले जायेंगे।
अभिमान वश,
जब रिश्तों का,
सम्मान नही कर पायेंगे।
स्वयं सम्मान की,
पात्रता कैसे पायेंगे।।
अभिमान छोड़,
दूसरे के किये का,
जब आभार,
हम जतायेंगे।
अपमान,
सूचक शब्दों की जगह।
प्रेम के,
दो शब्द बोल जायेंगे।
सब से,
सम्मान हम पायेंगे।।
