अभी नहीं तो कब ?
अभी नहीं तो कब ?
अभी नहीं तो कब ?
तुम खुद को पहचानोगे,
अपने अंदर की छुपी हुई
प्रतिभाओं को जानोगे।
अभी नहीं तो कब ?
तुम पहचानोगे अपनी शक्ति,
अभी नहीं तो कब छोड़ोगी
अंधे समाज की अंधी भक्ति।
खुदका करो सामना
पूछो तुम जीवन से क्या चाहोगी,
कभी नसीब तो कभी समाज का
रोना ही रोती जाओगी।
तुमने ही रोका है खुद को
किसी और में ना साहस है,
बहती दरिया को रोक ले
किस में इतना दुस्साहस है।
राह कठिन हो फिर भी एक दिन
तुम मंजिल को पा जाओगे,
अभी नहीं तो कब,
अभी नहीं तो कब।
मत सोचो कि दुनिया तुम पर
उंगलियां उठाएगी,
नजर मिलाकर करो सामना
इनकी नजरें झुक जाएंगी।
कल की चिंता तुम मत करो
कल कभी ना आता है,
अगर आज ना जियो जिंदगी
वही कल बन जाता है।
अभी नहीं तो कब तुम अपने
कदम बढ़ाओगी,
धीरे-धीरे चलो तो सही
एक दिन मंजिल पा जाओगे।
देखो तो इतिहास उठाकर
उदाहरण भरे पड़े
वीरांगनाओं के डर से
दुश्मन भी रण छोड़ चुके।
तुम भी कुछ करके एक दिन
अपनी पहचान बनाओगी,
अभी नहीं तो कब
अभी नहीं तो कब।
नारी हो तुम नारी शक्ति
करती हो हर काम बड़े
कभी चांद के पार गई तो
कभी हिम की चोटी पर कदम तेरे।
खेलकूद हो या हो शिक्षा या
फिर हो व्यवसाय बड़ा,
तुम सब कुछ कर सकती हो
कब अपने अंदर यह विश्वास जगाओगी।
अभी नहीं तो कब
अभी नहीं तो कब
तुम अपने कदम बढ़ाओगी।