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Rajit ram Ranjan

Romance

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Rajit ram Ranjan

Romance

अब वो पहले जैसी नहीं रही

अब वो पहले जैसी नहीं रही

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दिल में जो दबी-दबी कली थी, 

वो अभी तक नहीं खिली

मैंने चाहा जिसे सच्चे मन से, 

ऐ ख़ुदा वो क्यूँ नहीं मिली, 

अब दर्द ही दर्द मिल रहा है, 

हर रोज़ नाश्ते में

डरा-डरा,सहमा-सहमा चल रहा हूँ, 

हर रोज़ रास्ते में

शायद एक बार ही, 

मेरी बात मान लिया होता सही

भूल जा उसे यार 

अब वो पहले जैसी नहीं रही...!


वो रूठना, मनाना, घबराना, शर्मना

हवा में हर रोज़ दुपट्टा उड़ाना

दूर से ही देखकर मुझे 

नज़रें झुकाना, 

झटक कर जुल्फ़ 

दिल की धड़कन बढ़ाना

पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा, 

एकदम खाली-खाली 

अजनबी हो जाना

उनके दिल में क्या है, 

जान लिया होता सही

शायद एक बार ही, 

मेरी बात मान लिया होता सही

भूल जा उसे यार 

अब वो पहले जैसी नहीं रही...!



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