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Pourush Gupta

Drama Inspirational

2.5  

Pourush Gupta

Drama Inspirational

अब तो भरलो तुम हुंकार

अब तो भरलो तुम हुंकार

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अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


क्या आता नहीं है खुद पर धिक्कार ?

खूब किया खुद पर अत्याचार।

क्या है नहीं है ये खूब व्यभिचार ?

अब तो वसुधा भी कर रही है प्रतिकार।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


गला घोंट दिया उन सपनों का ,

मातृ-पितृ आशाओं का , उम्मीदों का।

कुछ तो हासिल कर लेते इस जीवन में ,

क्या होती नहीं तपन इस तन में।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


खूब किया है तुमने वक़्त बर्बाद ,

क्या पाया है तुमने आज ?

जीवन को अब तो सार्थक करलो ,

वक़्त बचा है तो मंथन करलो।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


खूब कर लिया है आराम ,

निद्रा का परित्याग करो।

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वजन बने रहना है निष्काम ,

कुछ तो बलिदान करो।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


त्याग दो , सब त्याग दो ,

इस विलासिता को , इस आंनद को।

करना ही करना पड़ेगा ,

सपने देखे हैं , कीमत तो भरना पड़ेगा।

अब क्या आरम्भ क्या अंत है ,

जब संघर्ष ही जीवन पर्यन्त है।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


शक्ति का तुम आव्हान करो और स्वाभिमान का आलिंगन ,

बंद करो तुम व्यर्थ का चिंतन।

उठ जाओ , युवा हो तुम , हाहाकार मचादो ,

सफलता और उन्नति का सैलाब बहादो।


खुद पर करलो तुम उपकार ,

गुजरते वक़्त की भी बस यही पुकार ,

अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


अब तो भरलो तुम हुंकार,

कर लो सब सपने साकार।


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