अब तो भरलो तुम हुंकार
अब तो भरलो तुम हुंकार
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
क्या आता नहीं है खुद पर धिक्कार ?
खूब किया खुद पर अत्याचार।
क्या है नहीं है ये खूब व्यभिचार ?
अब तो वसुधा भी कर रही है प्रतिकार।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
गला घोंट दिया उन सपनों का ,
मातृ-पितृ आशाओं का , उम्मीदों का।
कुछ तो हासिल कर लेते इस जीवन में ,
क्या होती नहीं तपन इस तन में।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
खूब किया है तुमने वक़्त बर्बाद ,
क्या पाया है तुमने आज ?
जीवन को अब तो सार्थक करलो ,
वक़्त बचा है तो मंथन करलो।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
खूब कर लिया है आराम ,
निद्रा का परित्याग करो।
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वजन बने रहना है निष्काम ,
कुछ तो बलिदान करो।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
त्याग दो , सब त्याग दो ,
इस विलासिता को , इस आंनद को।
करना ही करना पड़ेगा ,
सपने देखे हैं , कीमत तो भरना पड़ेगा।
अब क्या आरम्भ क्या अंत है ,
जब संघर्ष ही जीवन पर्यन्त है।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
शक्ति का तुम आव्हान करो और स्वाभिमान का आलिंगन ,
बंद करो तुम व्यर्थ का चिंतन।
उठ जाओ , युवा हो तुम , हाहाकार मचादो ,
सफलता और उन्नति का सैलाब बहादो।
खुद पर करलो तुम उपकार ,
गुजरते वक़्त की भी बस यही पुकार ,
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।
अब तो भरलो तुम हुंकार,
कर लो सब सपने साकार।