STORYMIRROR

ibad ullah

Romance

3  

ibad ullah

Romance

अब तो बदल चुका हूँ मैं

अब तो बदल चुका हूँ मैं

2 mins
591


भुलाके तुमको आगे बढ़ चुका हूँ मैं 

अब लौटी हो अब तो बदल चुका हूँ मैं,

अब नहीं सोचता की क्या हुआ था माज़ी में,

जो हुआ था वो सब भुला चुका हूँ मैं ,

तुम्हारी याद हर वक़्त ज़हन में रहती थी,

उन यादों को जला कर मिटा चुका हूँ मैं,

जो तुमने ज़ख्म दिए थे वो बन गए नासूर ,

धीरे धीरे अब मरहम लगा रहा हूँ मैं ,

तेरे हर ख़त को रख कर बता मैं क्या करता,

ऐतियातन उन सब को जला रहा हूँ मैं,

इंतज़ार नहीं है मुझे तुम्हारा भी ,

देखो "इबाद" कितना बदल चुका हूँ मैं,

भुलाके तुमको आगे बढ़ चुका हूँ मैं ,

अब लौटी हो अब तो बदल चुका हूँ मैं ,

ख़याल अब तुम्हारा दिल में नहीं है मेरे,

अपने इस दिल को, हाँ बहल

ा रहा हूँ मैं ,

अपने इस हाथ को देखा तो हमने यह जाना,

लकीर ए वफ़ा तो है ही नहीं मेरे पास ,

तू जो छोड़ गई थी यह मेरी किस्मत थी ,

यही कह कर इल्ज़ाम खुद पे ले रहा हूँ मैं ,

जो तेरी हर अदा पे मर मिटे थे वो भी हम ही थे,

जो तुझको देख कर नज़रे चुराते वो भी हम ही थे,

जो तेरी बात पे हस्ते हँसाते वो भी हम ही थे,

जो तू नराज़ तो तुझको मनाते वो भी हम ही थे ,

मगर तेरी यह बात मेरे दिल को और चुभती है,

दिल जिसका तोड़ा जिस को छोड़ा वो भी हम ही थे ,

तू लौटी है तो चाहती है मैं भी लोट जाऊ,

कैसे बताऊ मैं तुझको बदल चुका हूँ मैं ,

भुलाके तुमको आगे बढ़ चुका हूँ मैं ,

अब लौटी हो अब तो बदल चुका हूँ मैं ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance