अब मुझे फर्क नहीं पड़ता
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता
हाँ, अब मुझे फर्क नहीं पड़ता !
तू दिल में तो अब भी है,
मेरे कहीं न कहीं,
बेशक तेरे आने की,
उम्मीदें अब नहीं रही।
तेरे इंतज़ार की सारी,
हदे हमने अब तोड़ दी,
ना जाने कितनी ख्वाहिशें,
अपनी यूँही छोड़ दी।
माना तेरे प्यार को,
भुलाने को दिल नहीं करता था,
किसी और को ख्यालों में,
लाने को दिल नहीं करता था।
पर अब शायद वो,
एहसास वो मोहब्बत नहीं,
दिल तो वही है आज भी,
पर शायद वोह चाहत नहीं।
हाँ तो सही सुना तुमने,
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता !
क्या माँगा था मैंने तुझसे,
और क्या मैंने पाया था,
हर लम्हा था मेरा तुझसे,
हर पल पर तेरा ही तो साया था।
ख्वाब तो ना जाने कितने,
देखे थे मैंने साथ तेरे,
तेरे साथ ही तो मैंने एक,
सुनहरा जहाँ सजाया था।
उस जहाँ का हर पल हर मंजर,
तेरे बिना सूना था,
हर रास्ता हर मंजिल तेरे साथ हो,
बस यही ख्वाब तो बुना था।
पर शायद उस जहाँ में मेरे,
अब तेरी जरुरत नहीं रही,
और शायद इस दिल में मेरे,
अब तेरी मूरत नहीं रही।
हाँ तो सही सुना तुमने,
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता !
मेरे प्यार को तुमने औरों के,
फरेब से तौल कर भी देख लिया,
है प्यार नहीं तुम्हे मुझसे,
कई बार ये बोल कर भी देख लिया।
पर फिर क्यों आज भी दिल,
दुखने पर तुम मुझे ही याद करती हो,
आज भी क्यों नए दोस्तों से इस,
पुराने दोस्त की इतनी बात करती हो।
पर मेरे दिल में तेरे लिए,
शायद वो ख्याल अब नहीं रहे,
जो पूछने थे तुझसे कभी,
शायद वो सवाल अब नहीं रहे।
मंजिल मेरी रही नहीं तुमसे न रास्तों में,
अब मुझे तुम्हारा साथ चाहिए,
मैं अकेला ही खुश हूँ अब,
नहीं हाथों में अब मुझे तेरा हाथ चाहिए।
हाँ तो सही सुना तुमने,
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता !