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आरती सिंह "पाखी"

Romance

5.0  

आरती सिंह "पाखी"

Romance

अब लौट न आना

अब लौट न आना

1 min
233


अब रास्ते बदल गए ही हैं

तो तुम भी पूरे बदल जाना,

न तुम लौट कर आना

न यादों का करवां लाना,

जब चले ही गए हो तो

इन यादों से भी चले जाना।


अगर कर सको अंतिम एहसान

तो मेरी जान ! बस इतना करना,

जाते हुए इस गुस्ताख आशिक को

तुम पीछे मुड़ कर न देखना ,

हम संभल जायेगें खुद ही

बस तुम मुड़ के मुझे न देखना।


हम तो बीती बातें में भी

तेरा आज जी लेते हैं,

शायद यही प्रेम का आलम है

इसलिए सब प्रेम से डरते हैं,

हम समझा लेंगे खुद को ही

न संभाल सके तुम एक दिल ही।


याद आती है हर पहर

वो वादे वफ़ा का अपना शहर,

कैसे निकल दूं मैं दिल से

ज़िन्दगी का सबसे हसीन शहर,

बेवफा भी तो नहीं कह सकता हूँ

तुम जान थी कैसे सजा दे सकता हूँ।


साथ बेश्क अधूरा था

पर चाहत मेरी पूरी थी,

तभी तो तेरे जाने पर भी

मेरे लबो की मुस्कान पूरी थी,

बस अब लौट न आना

वो चाहत अधूरी ही पूरी थी।





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