अब दूरियां ही दवा हो गयी
अब दूरियां ही दवा हो गयी
गुजर रही है जिंदगी अब एक ऐसे मुकाम से
गैर तो क्या अपने भी दूर हो जा रहें हैं जरा से
ज़ुकाम से.............
इस कायनात में एक क़ातिल बीमारी की हवा हो गयी
वक्त ने ऐसा सितम ढाया की अब दूरियां ही
दवा हो गयी.........
हसरतें कुछ और हैं
वक्त की इल्तजा कुछ और है....
कौन जी सका जिंदगी अपने मुताबिक
दिल चाहता कुछ और है
और होता कुछ और है।