"आज़ादी के बाद क्या मिला"
"आज़ादी के बाद क्या मिला"


गुलामी से बच कहाँ पाये,
गैरों की गुलामी से बचें,
अपनों ने गुलाम बनाया,
आम आदमी का अधिकार,
वोटों तक ही सीमित हुआ,
खून की नदियाँ बहा दी,
आज़ादी को पाने में,
खून तो बहा, आज़ादी कहाँ मिली,
उस खून की कीमत क्या चुका पाये हम,
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा",
जैसे नेताओं ने भारत माता को तो,
आज़ाद करा दिया,
पन आम आदमी गुलाम ही बना रहा,
फूट डालों, राज़ करों ने,
मुल्क के दो टुकड़े किये,
हिन्दुस्तान - पाकिस्तान दो मुल्क हुऐ,
भाई - भाई के दुश्मन हुऐ,
नासूर बना कश्मीर विवाद,
मवाद बन रिस रहा,
कश्मीरी पंडित बेघर हुऐ,
हिन्दू - मुस्लिम - सिख - ईसाई,
आपस में सब भाई - भाई,
महज नारा बना,
नस्लवाद हावी हुआ,
हल्दी की गाँठ ले,
पंसारी नेता बन बैठा,
भ्रष्टाचार सुरसा सा मुँह खोले खड़ा,
शिक्षित बेरोज़गार बन,
सड़कों पे ख़ाक छान रहा,
आम - आदमी घुन की तरह पिस रहा,
सड़कों पे अर्द्धनंगें बच्चें भूख से बिलख
रहें,
उनसे पूछों आज़ादी के बाद क्या मिला,
कहेंगे बेरोज़गारी हट जाये,
तो आज़ादी के मायने हैं,
दो जून की रोटी मिल जाये,
तो आज़ादी के मायने हैं,
भ्रष्टाचार डंक न फैलाये,
तो आज़ादी के मायने हैं,
सरे - आम औरतों की इज़्ज़त न रोंदी जाये,
तो आज़ादी के मायने हैं,
आम - आदमी सड़क पे निकलने से न कतराये,
तो आज़ादी के मायने हैं,
फिर भी न जाने क्यों,
झंडा फहराता जब आज़ादी का,
गर्व से सीना चौड़ाता है,
सीना ठोक के हर हिन्दुस्तानी,
आज़ाद हिन्दुस्तानी होने पर इतराता है,
आज़ादी के सुख का कोई विकल्प नहीं,
हम से न पूछों, आज़ादी के बाद क्या मिला,
अभिव्यक्ति का अधिकार मिला,
आत्मसम्मान मिला,
जात - पात का बंधन हटा,
दुनिया की ताल से ताल मिला,
अंतरिक्ष तक में झंडा फहरा रहें,
शांति का पाठ पढ़ा,
विश्व - विजेता कहला रहें,
आज हिन्दुस्तान के नाम से,
दुनिया वाले थर्रातें हैं,
"शकुन" आज हम फ़क्र से,
हिन्दुस्तानी कहलाते हैं।।